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चक्र- स – ख्रीस्त जयंती महापर्व (दिन का मिस्सा)

इसायाह 52::7-10; इब्रानियों 1:1-16; योहन 1:1-18

ब्रदर सहाय रीगन (भोपाल महाधर्मप्रांत)


प्रभु येसु खीस्त में प्यार माता-पिताओं भाइयों-बहनों एवं बच्चों, आप सभी को जय चेसु और क्रिसमस पर्व की ढेर सारी शुभकामनाएं।

आज हम बहुत खुश हैं, क्योंकि आज हमारे लिए एक पुत्र का जन्म हुआ है। हर धर्म में हमें यह देखने को मिलता है कि ईश्वर विभिन्न अवतार लेते हैं ताकि वह बुराई को खत्म कर सकें। आज हमारे लिए भी ईश्वर एक अवतार नहीं बल्कि हमारे सम्मान इंसान बनकर एक गौशाला में जन्म लेते हैं, ताकि न सिर्फ बुराइयों को खत्म करें बल्कि हमें अपने पापमय जिंदगी से मुक्त करके पिता के प्यार को प्रकट कर सके। इस मुक्ति कार्य को संपन्न करने के तिए उस पुत्र ने अपने आपको भी बलिदान करने से नहीं रोका।

ख्रिसमस एक ऐसा त्यौहार है जो हमें यह पाद दिलाता है कि ईश्वर हमें प्यार करता है और इस बात का साक्ष्य देता है कि क्या पिता ईश्वर अपने पुत्र के द्वारा हमें नया जीवन देकर हम सबों को अपनाता है। ईश्वर जिसने इस दुनिया की अपने एकमात्र शब्द द्वारा सृष्टि कीए उसे इस दुनिया को वापस अपनाने या इंसान जैसे उन्होंने अपने प्रतिरूप में बनाया था। उसे पापों से मुक्त करने के लिए एक क्षण भर भी नहीं लगता। फिर भी उन्होंने अपने प्रिय पुत्र को इस दुनिया में भेजो, और उस पुत्र ने दास का रूप धारण कर हमारे बीच जन्म लिया। इतने बड़े और महान ईश्वर को दास का रूप धारण करने की क्या जरूरत थी, लेकिन उन्होंने हमारे प्यार के खातिर ऐसा किया।

हम इस दुनिया में हो रहे बुराइयों युद्ध एवं उत्पीड़न को नजर अंदाज नहीं कर सकते हैं। इतनी मुस्किलों के बावजूद प्रभु येसु ने इस पृथ्वी पर जन्म लेने से इनकार नहीं किया, बल्कि इस अशांतिपूर्ण दुनिया में शांति के राजा हम सभी को शांति एवं शांतवना देने के लिए जन्म लेते हैं। प्रभु येशु ने जमतेने के लिए किसी अस्पताल या बड़े महत को नहीं चुना, बल्कि उन्होंने एक गौशाला को चुरा और उस में जन्म लेना उक्ति मान्ना। गौशाला में गाए बैल गया बकरा बकरी चरवाहे माता मरियम, मुसूफ और प्रभु पेमु उपस्थित है। इससे हमें यह पता चलता है की मुक्ति कार्य में सबका अपना-अपना कर्तव्य है. और प्रभु पेसु इस मुक्ति कार्य का केंद्र बिंदु है। अपना मुक्ति कार्य संपत्र करने के लिए पैसु के पास कई तरीके थे। सारी दुनिया को अपने एकमात्र शब्द से बनाने काले ईश्वरए कोई भी रूप ले सकते थे। लेकिन उसने मनुष्य का रूप धारण कर हमारे सम्मान एक शारीर को अपनाया। अगर ईश्वर की मनुष्य शरीर धारण करना सही और अच्छा लगा तो हमें भी अपने शरीर के लिए ईश्वर को धन्यवाद देना चाहिए और इसे भले कार्यों के लिए उपयोग करना चाहिए। संत पौलुस । कुरिधियों 6:19 में हमें अब याद दिलाते है. क्या आप लोग यह नहीं जानते कि आपका शरीर पवित्र आत्मा का मंदिर है। और अंत में यह भी कहते हैंए आप लोग अपने शरीर में ईश्वर की महिमा प्रकट करें।